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"Supreme Court Ruling on Input Tax Credit (ITC) Under GST | SLP (C) No. 6334/2025"

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*सुप्रीम कोर्ट का आदेश:* ITC अस्वीकृति पर सुप्रीम कोर्ट की विस्तृत व्याख्या *मुद्दा:* सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि अगर विक्रेता ने GST सही से दाखिल नहीं किया या उसमें त्रुटि की है, तो खरीदार ITC का हकदार नहीं हो सकता। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया था, और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस आदेश का सीधा असर उन मामलों पर पड़ेगा जहां खरीदारों का ITC केवल विक्रेता की गलती की वजह से रोका गया है। *1. केस का संक्षिप्त विवरण* मामला: विशेष अनुमति याचिका (SLP) No. 6334/2025 अपीलकर्ता: भारत सरकार (Union of India) उत्तरदाता: बृज सिस्टम्स लिमिटेड और अन्य मूल आदेश: बॉम्बे हाई कोर्ट (02-07-2024) ने सरकार के पक्ष को खारिज कर दिया था। *2. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय* सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि इसी तरह की एक और याचिका SLP No. 7903/2025 (CBIC बनाम M/s Aberdare Technologies Pvt. Ltd.) पहले ही खारिज की जा चुकी थी। इसका अर्थ: बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश बरकरार रहेगा, और सरकार का तर्क स्वीकार नहीं किया गया। *3. ITC अस्वी...

उच्च न्यायालय का निर्देश, आदेश से पहले व्यक्तिगत सुनवाई अनिवार्यप्राकृतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी विभाग की सख्त कार्रवाई जारी किया Circular (नम्बर- 1518)

उत्तर प्रदेश जीएसटी विभाग ने अधिकारियों को करदाताओं के खिलाफ आदेश पारित करने से पहले उचित व्यक्तिगत सुनवाई प्रदान करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई आदेशों के बाद उठाया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई न देने को प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के रूप में देखा गया। धारा 75(4) के तहत यह अनिवार्य है कि यदि करदाता सुनवाई की मांग करता है या प्रतिकूल निर्णय की संभावना है, तो व्यक्तिगत सुनवाई दी जानी चाहिए। हाल ही में, अदालत ने सुनवाई के बिना पारित आदेशों को रद्द कर दिया और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सुनवाई की तारीख और समय स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हों। इसके साथ ही, जिन अधिकारियों ने इस नियम का पालन नहीं किया, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं। 28 नवंबर 2024 को Circular संख्या 1518 जारी किया गया, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं कि आदेश पास करने से पहले सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए।